52 शक्ति पीठ के जर्णोद्धार लिए व हरकीपौडी पर जिला प्रशासन ने लिये सुझाव और की चर्चा
देश की धर्मनगरी हरिद्वार में हर की पौड़ी स्थित सीसीआर भवन में जिलाधिकारी हरिद्वार के नेतृत्व में अखाड़ा परिषद श्री गंगा सभा हरिद्वार और मठ मंदिरों के प्रतिनिधियों की बैठक आयोजित की गई इस बैठक में मुख्य रूप राज्य सरकार की योजना के तहत होने वाले 52 शक्ति पीठ के जर्णोद्धार लिए सभी प्रतिनिधियों से सुझाव लिए गए इन सुझावों को पर्यटन मंत्रालय भेजा जाएगा वही इस बैठक में कुछ दिन पुर हरकीपौडी पर गिरी दीवार के पुनः निर्माण पर विचार विमर्श भी किया बैठक के बाद जिलाधिकारी ने सभी कार्यो को लेकर विभिन्न दिशा निर्देश भी दिए.
राज्य सरकार की योजना के तहत 52 शक्ति पीठ के होने वाले जर्णोद्धार के कार्यो पर जिला अधिकारी सी रविशंकर का कहना है कि 13 जनपद और 13 डेस्टिनेशन राज्य सरकार की स्कीम है जिसके तहत 52 शक्ति पीठ का एक स्थान बनाने की योजना बनाई जा रही है इसकी संकल्पना बनाने के लिए आज विचार विमर्श किया गया है इसमें अखाड़ा परिषद संतो मठ मंदिर के प्रतिनिधियों को अपने सुझाव देने के लिए आमंत्रित किया गया है पूरे भारतवर्ष का एक लेआउट बनाने पर भी विचार किया गया है जहां-जहां शक्ति पीठ स्थापित है वहां वहां हम शक्तिपीठ का जर्णोद्धार पुराने स्वरूप में ही करने का सुझाव आया है और भी कई अच्छे सुझाव आए है इनकी सूची पर्यटन मंत्रालय को भेजी जाएगी इसमे जैसे ही फंड मिलेगा तो तुरंत इसका डीपीआर बना लिया जाएगा और इस कार्य के लिए एकमुश्त धनराशि दी जाएगी
जिलाधिकारी सी रविशंकर का कहना है कि श्री गंगा सभा के प्रतिनिधि साधु संत निर्माण कार्य करने वाली संस्था और प्रतिनिधियों के साथ बैठक में हरकीपौडी पर गिरी दीवार के पुनः निर्माण करने के लिए विचार विमर्श किया गया है मेरे द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि हर की पौड़ी पर दीवार का निर्माण कार्य सुरक्षात्मक तरीके से तेजी के साथ किया जाए हमारे द्वारा तकनीकी रूप रेखा और दोबारा डिजाइन बनाने के लिए कहा गया है अगले हफ्ते तक सभी कार्य पूरे कर लिए जाएंगे हमारे द्वारा सीएसआर से फंड प्राप्त करने का विचार-विमर्श भी किया जा रहा है.
राज्य सरकार द्वारा 52 शक्ति पीठ के जर्णोद्धार के लिए रूपरेखा बनाई जा रही है जिससे 52 शक्तिपीठों के स्वरूप को भव्य रुप से दर्शाया जा सके इसी को लेकर आज हरिद्वार में जिलाधिकारी सी रविशंकर और अखाड़ा परिषद के प्रतिनिधि गंगा सभा और तमाम मठ मंदिरों के प्रतिनिधि मौजूद रहे जिन्होंने प्रशासन को अपने अपने सुझाव दिए तो वहीं हर की पौड़ी पर गिरी दीवार को सुरक्षा के मानकों के अनुसार बनाने की रूपरेखा भी तैयार की गई.