पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज है दूसरी पुण्यतिथि.





सुनील मिश्रा :  भारत रत्न और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज दूसरी पुण्यतिथि है। 16अगस्त 2018 में आज के ही दिन अटल बिहारी वाजपेयी इस दुनिया को विदा कह गए थे। 
उन्हें हमेशा ही सभी पार्टियों से भरपूर प्यार व स्नेह मिला। 
अटल बिहारी वाजपेयी का पैतृक गांव यूपी के बटेश्वर में था, हालांकि उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। ग्वालियर के ही विक्टोरिया कॉलेज से उन्होंने पढ़ाई की। 
अगर उनके पूरे जीवन पर नजर डालें तो वो राजनीति, कविता और सादगी के बीच बीता। अटल ने राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर किया और पत्रकारिता से शुरुआत की। यही नहीं, उन्होंने राष्ट्र धर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन का संपादन भी किया।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जिंदगी से जुड़े आज हम आपको उनकी जिंदगी के बारे में कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जो बहुत कम लोगों को पता हैं।. 1942 में जब महात्मा गांधी ने ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ का नारा दिया तो ग्वालियर मे अगस्त क्रांति आंदोलन से हमेशा आगे अटल ही रहते थे। कोतवाल के कहने पर अपनी नौकरी की फिक्र में पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ने अटल को पैतृक गांव बटेश्वर भेज दिया। 
हालांकि,अटल फिर भी न माने और पुलिस के चंगुल में फंस गए। नाबालिग होने की वजह से अटल को बच्चा बैरक में रखा गया। चौबीस दिनों की अपनी इस पहली जेल यात्रा को अटल हंस-हंसकर सुनाते थे।
लखनऊ से अटल जी को विशेष स्‍नेह था।  यहां अटल जी अपनी पसंदीदा दुकान थी राजाजी ठन्डाई पर अक्सर जाया करते थे  ‘एक बार अटल जी के साथ बीजेपी के कई बड़े नेता दुकान में आए हुए थे। चुनावों पर चर्चा होती रही, इसके बाद पिता जी ने पूछा कि ठंडाई कैसी रहेगी? सादी या? उनका इतना बोलना था कि अटल जी तुरंत मजाकिया लहजे में बोले, शादी तो मैंने की ही नहीं।’ उनके करीबी लोग तो ये भी कहते हैं कि उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया था.  सदन में विपक्ष के हमलों के बीच साफगोई के साथ ये बता चुके हैं, ‘मैं अविवाहित जरूर हूं, लेकिन कुंवारा नहीं।’
अटल जी पर लिखी गई किताब ‘अटल बिहारी वाजपेयीः ए मैन ऑफ आल सीजंस’ में 
इस बात का जिक्र है कि विक्टोरिया कॉलेज (लक्ष्मीबाई कॉलेज) के दिनों में उनकी एक महिला मित्र राजकुमारी कौल हुआ करती थीं, जो अपने आखिरी समय तक अटल जी के साथ रही थीं।  पढ़ाई पूरी होने के बाद अटल जी राजनीति में सक्रिय हो गए और  मिसेज कौल की प्रोफेसर ब्रिज नारायण कौल से शादी हो गयी ।  अटल जी ने शादी नहीं की थी। लेकिन उनकी एक बेटी भी थी। उनका नाम नमिता भट्टाचार्य दत्तक पुत्री हैं। बता दें कि अटल जी के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि उनकी बेटी नमिता भट्टाचार्य ने ही दी।
अटल बिहारी वाजपेयी ने 1955 में पहली बार लोकसभा चुनाव लडा हार गये 1957 में जनसंघ ने उन्हें तीन लोकसभा सीटों (लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर) से चुनाव लड़ाया। हालांकि, दोनो हार गये लेकिन बलरामपुर से चुनाव जीतकर वह दूसरी लोकसभा में पहुंच गए। यहीं से अगले पांच दशकों के उनके संसदीय कामकाज की नींव पड़ी।

जब अटलजी विदेश मंत्री का कार्यभार संभाल कर कार्यालय पहुंचे तो वहां पर जवाहर लाल नेहरू की फोटो हटाने से एक दीवार खाली थी। पूछने पर पता चला!  चूंकि अटल जनसंघ के थे इसलिए कर्मचारियों ने उसे हटा दिया। इस पर अटल जी ने कहा कि ‘मैं जनसंघ से जुड़ा हूं तो हमारे वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन वो देश के प्रधानमंत्री रहे हैं।’ इसके बाद उन्होंने नेहरू की तस्वीर वहां लगवाई।
2018 में दिल्ली एम्स में 93 साल की उम्र में वाजपेयी का निधन हो गया था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर सीएम योगी और देश के कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वाजपेयी को याद करते हुए ट्वीट में लिखा, नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार अटल जी के विचारों को केंद्र में रखकर सुशासन व गरीब कल्याण के मार्ग पर अग्रसर है और भारत को विश्व में एक महाशक्ति बनाने के लिए कटिबद्ध है। श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि वंदन।  इससे पहले, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार सुबह अटल बिहारी वाजपेयी के समाधि स्थल ‘सदैव अटल’ गए और उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

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