भारतीय किसान यूनियन ने तीन कृषि अध्यादेश का किया विरोध, प्रदर्शन पर भी राज्य के तीन सीमाओं पर लगाई रोक




सुनील मिश्रा नई दिल्ली :  आज दिल्ली में तीन कृषि अध्यादेश के विरोध में प्रदर्शन करने जा रहे भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं को अलग-अलग राज्यों की सीमा पर रोक लिया गया ।सबसे पहले हरियाणा से अंबाला, कुरुक्षेत्र और करनाल के किसानों को नरेला थाने, उत्तर प्रदेश से गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, मेरठ ,मुजफ्फरनगर शामली के किसानों को यूपी गेट गाजीपुर, 
बिजनौर वह उत्तराखंड से पहुंचे किसानों को भी यूपी गेट पर रोकने से नाराज होकर भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने यूपी गेट पर ही धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया ।गाजियाबाद दिल्ली प्रदेश की पुलिस फोर्स सहित सीआईएसफ व पीएसी को भी किसानों को रोकने के लिए लगाया गया था। इस तरह से किसानों को शांतिपूर्वक प्रदर्शन से रोका जाना लोकतंत्र की हत्या है और इससे यह साबित होता है कि सरकार कितनी निरंकुश है ।सरकार अगर  किसी क्षेत्र के संबंध में कोई कानून लेकर आती है   तो उस क्षेत्र के प्रतिनिधियों से बात करना भी सरकार को गवारा नहीं है। 4 घंटे गाजीपुर बॉर्डर पर चौधरी राकेश जी के जी के नेतृत्व में भारतीय किसान यूनियन के लगभग 500 किसानों ने प्रदर्शन किया। आज के कार्यक्रम में बुलंदशहर के जिला अध्यक्ष गुड्डू प्रधान बिजनौर के जिला अध्यक्ष कुलदीप सिंह मुजफ्फरनगर के जिला अध्यक्ष धीरज भाटिया शामली के जिला अध्यक्ष कपिल खतियान गाजियाबाद के जिला अध्यक्ष विजेंद्र सिंह सहारनपुर मंडल के मंडल अध्यक्ष भंवर सिंह मेरठ के मंडल अध्यक्ष पवन खटाना,दिगंबर सिंह युवा प्रदेश अध्यक्ष सहित लगभग 500 किसानों ने भाग लिया.इसके बाद दिल्ली पुलिस के आग्रह पर एक प्रतिनिधिमंडल कृषि भवन में अपनी मांगों से संबंधित मांग पत्र लेकर गया। प्रतिनिधिमंडल ने कृषि भवन में अपना मांग पत्र दिया ! 



                    ज्ञापन.              14.09.2020
माननीय,
श्री नरेन्द्र मोदी जी,
प्रधानमंत्री भारत सरकार,
साउथ ब्लॉक नई दिल्ली।
आदरणीय श्री मोदी जी
केन्द्र सरकार द्वारा 5 जून को लागू किये गये अध्यादेशों का देश के किसान विरोध कर रहे हैं। वहीं सरकार द्वारा इन अध्यादेशों को एक देश एक बाजार के रूप में कृषि सुधार की दशा में एक बड़ा कदम बता रही है। वहीं भारतीय किसान यूनियन इन अध्यादेशों को कृषि क्षेत्र में कम्पनी राज के रूप में देख रही है। कुछ राज्य सरकारों द्वारा भी इसकों संघीय ढांचे का उल्लंघन मानते हुए इन्हें वापिस लिये जाने की मांग कर रही है। देश के अनेक हिस्सों में इसके विरोध में किसान आवाज उठा रहे हैं। किसानों को इन कानून से कम्पनी की बन्धुआ बनाये जाने का खतरा सता रहा है। कृषि में कानून नियंत्रण, मुक्त विपणन, भंडारण, आयात-निर्यात, किसान हित में नहीं है। इसका खामियाजा देश के किसान विश्व व्यापार संगठन के रूप में भी भुगत रहे हैं। देश में 1943-44 में बंगाल के सूखे के समय ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अनाज भंडारण के कारण 40 लाख लोग भूख से मर गये थे। समर्थन मूल्य कानून बनाने जैसे कृषि सुधारों से किसान का बिचौलियों और कम्पनियों द्वारा किया जा रहा अति शोषण बन्द हो सकता है और इस कदम से किसानों के आय में वृद्धि होगी। भारतीय किसान यूनियन आज दिनांक 14.09.2020 को जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन के माध्यम से निम्न मांग करती है-
1. (अ)  कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार अध्यादेश 2020
(ब) कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अध्यादेश 2020
(स) आवश्यक वस्तु अधिनियम संशोधन अध्यादेश 2020

कृषि और किसान विरोधी तीनों अध्यादेशों को तुरंत वापिस लिया जाये।
2. न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी फसलों पर (फल और सब्जी) लागू करते हुए कानून बनाया जाये। समर्थन मूल्य से कम पर फसल खरीदी हो अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाये।
भवदीय

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