मौलिक भारत संस्था ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जी को भेजे ये सुझाव

सुनील मिश्रा नई दिल्ली : सरकार के तीनो बिलों का स्वागत करते हुए कान्ट्रेक्ट फ़ार्मिंग (अनुबंध पर खेती) से जुड़े भारत सरकार के विधेयक पर मौलिक भारत संस्था ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जी को भेजे ये सुझाव
प्रतिष्ठा में
श्री नरेंद्र तोमर जी
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री
भारत सरकार
शास्त्री भवन, नई दिल्ली
विषय: कोंट्रेक्ट फ़ार्मिंग (अनुबंध पर खेती) से जुड़े भारत सरकार के विधेयक पर मौलिक भारत की आपत्तियाँ/ सुझाव
परम आदरणीय,
व्यापक विचार विमर्श के उपरांत हमारी संस्था मौलिक भारत कोंट्रेक्ट फ़ार्मिंग (अनुबंध पर खेती) से जुड़े उपरोक्त विधेयक के संबंध में कुछ आवश्यक सुझाव/ व आपत्तियाँ दे रही है। आपसे अपेक्षा है कि व्यापक जनहित को देखते हुए इन पर विचार कर विधेयक में आवश्यक सुधार करेंगे।
१) कोंट्रेक्ट फ़ार्मिंग (अनुबंध पर खेती) से पूर्व सभी ग्राम पंचायतों में बड़े व छोटे किसानो की अलग अलग दो सहकारी समितियों का गठन होना चाहिए।
२) छोटे व अनपढ़ किसानो को समझोते की क़ानूनी भाषा समझ आना मुश्किल है और किसी भी गड़बड़ी की स्थिति में क़ानूनी लड़ाई लड़ना और भी मुश्किल। समझौता स्थानीय भाषा में होना चाहिए व एक किसान से न होकर एक पंचायत के स्तर पर बनी सहकारी समिति से होना चाहिए। इस समिति को पर्याप्त सरकारी सहायता व क़ानूनी विशेषज्ञ व सलाहकार उपलब्ध होने चाहिए।
३) सहकारी समिति के सदस्यों में से कितने अपनी ज़मीन कोंट्रेक्ट पर देना चाहते हैं यह उनकी स्वतंत्रता होनी चाहिए।
४) जो भी किसान समझोते का हिस्सा बनते हैं उनकी फसल उगाने, काटने व बेचने संबंधी सभी कार्यों में सक्रिय सहभागिता होनी चाहिए व सब्ज़ी , फल आदि जो अतिरिक्त फसलें वे उस ज़मीन पर अपनी अतिरिक्त आमदनी या आवश्यकताओं के लिए उगाते हैं , वेसा करने का उनका उनका अधिकार बना रहना चाहिए ताकि महामारी युद्ध व आपात स्थिति में उसके जीवन यापन सम्बंधी कोई समस्या न आए।
५) नक़दी फसलों के दाम बाज़ार में हर साल माँग व आपूर्ति के खेल में गिरते उठते रहते हैं ऐसे में बीटी कोटन व अंगूर की खेती आदि में कोंट्रेक्ट फ़ार्मिंग किसानो के लिए घाटे का सोदा रही है। इसलिए नए क़ानून में किसानो का कोई अहित न हो इसका स्पष्ट प्रावधान होना चाहिए।
६) कोंट्रेक्ट फ़ार्मिंग (अनुबंध पर खेती) करने वाली संस्था ज़ेविक कृषि, शून्य लागत कृषि, मोटे अनाज के उत्पादन आदि पर अधिक ज़ोर दे ऐसे प्रावधान होने चाहिए।
७) गाँवों में कृषि आधारित उध्योगो को प्राथमिकता से लगाने का कार्यवाही व उनके अनिवार्य रूप से छोटे कृषकों के परिवार के सदस्यों की भागीदारी व शेयर होल्डिंग का प्रावधान हो।
८) किसी भी स्थिति में विदेशी बीज , खाद व रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग कम से कम हो।
९) यह सुनिश्चित होना चाहिए कि अनुबंध पर खेती देने के बाद किसान का परिवार निठल्ला व नशेडी न हो पाए व किसी भी हालात में ज़मीन से उसका मालिकाना न छिन पाए। किसान किसी भी प्रकार से क़र्ज़ के जाल में न फँस सके।
१०) बड़े कारपोरेट घरानो, राजनेताओ, नोकरशाहों व दबंगो को इस काम में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ने का अधिकार न हो।

शीघ्र क्रियान्वयन की अपेक्षा के साथ

भवदीय
अनुज अग्रवाल
महासचिव, मौलिक भारत

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