पहली बार देखें श्रीयंत्र के आकार वाला महाकाल शिखर:



नई दिल्ली :  महाकाल का पूरा शिखर और गर्भगृह होगा स्वर्ण महाकाल का शिखर श्रीयंत्र के' आकार में बना हुआ है।  यही उज्जैन को शिखर पर ले जाता है। मंदिर के अंदर रुद्र यंत्र और नागचंद्रेश्वर मंदिर के शिखर पर नाग यंत्र है।  श्रीयंत्र की स्थापना से शुद्ध लक्ष्मी प्राप्ति होती है  महाकालेश्वर मंदिर के शिखर को श्रीयंत्र आकार में आप पहली बार देख रहे हैं। महाकाल का पूरा शिखर और गर्भगृह स्वर्ण मंडित होगा। युवराज स्वामी माधवप्रपन्नाचार्य के अनुसार श्रीयंत्र में सभी देवताओं का वास होता है। ऐसे मंदिर में प्रधान देवता के अलावा अन्य देवी-देवता श्रीयंत्र में विराजमान माने जाते हैं।महाकाल मंदिर के गर्भगृह में रुद्रयंत्र स्थापित है। 

पं. आशीष पुजारी के अनुसार रुद्रयंत्र महाकाल का कवच कहा जाता है। इसे गर्भगृह में स्थापित करने से गर्भगृह ऊर्जा का पावरफुल केंद्र बन जाता है। महाकाल मंदिर में गर्भगृह में दर्शन-पूजन का विशेष महत्व है।
मंदिर का शिखर करीब 82 फीट ऊंचा है तथा इसकी दिखाई दे रही परिधि 84 मीटर है। शिखर के ऊपरी 5 फीट भाग तथा शिखर की छोटी 116 शिखरियों पर सोना चढ़ चुका है। अब पूरे शिखर और गर्भगृह को स्वर्ण मंडित किया जाएगा। इसके लिए पं. रमण त्रिवेदी ने प्रोजेक्ट के संबंध में उन्होंने दानदाताओं से भी चर्चा की है।  पं. त्रिवेदी ने ही सबसे पहले  25 फरवरी 2001 में मंदिर के शिखर पर स्वर्ण कमल स्थापित कराया था। इसके बाद 2005 में शिखर के अन्य छोटे शिखरों पर स्वर्ण शिखर चढ़ाने काम शुरू किया गया था। सभी छोटे शिखर भी स्वर्ण मंडित हो चुके हैं। पं. त्रिवेदी का कहना है कि इस संबंध में शीघ्र ही समिति का गठन कर मंदिर प्रबंध समिति को प्रस्ताव दिया जाएगा। समिति की मंजूरी होने पर इस पर काम शुरू करेंगे।
ऐसे मंदिर में प्रधान देवता के अलावा अन्य देवी-देवता श्रीयंत्र में विराजमान माने जाते हैं। ऐसे मंदिर समष्टि पूजन की दृष्टि से बनाए जाते हैं।
महाकाल मंदिर के गर्भगृह में रुद्रयंत्र स्थापित है। पं. आशीष पुजारी के अनुसार रुद्रयंत्र महाकाल का कवच कहा जाता है। इसे गर्भगृह में स्थापित करने से गर्भगृह ऊर्जा का पावरफूल केंद्र बन जाता है। यही कारण है कि महाकाल मंदिर में गर्भगृह में दर्शन-पूजन का विशेष महत्व है। इसकी स्थापना शंकराचार्य की मौजूदगी में विशेष अनुष्ठान के साथ की गई थी।
महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं को टिकट से ही प्रवेश मिलेगा। इसके लिए उन्हें अपना परिचय पत्र दिखाना होगा। यह व्यवस्था रुद्रसागर के किनारे विकसित हो रहे पब्लिक प्लाजा के चालू हो जाने पर लागू होगी। यात्री वाहन पार्क कर पब्लिक प्लाजा आएंगे जहां सामान आदि रख कर टिकट लेंगे। टिकट के आधार पर भी उन्हें मुख्य द्वार से प्रवेश मिलेगा। टिकट पर दर्शन का समय भी अंकित होगा। पब्लिक प्लाजा में टॉयलेट्स, जलपान, क्लॉकरूम आदि सुविधा होगी। टिकट पर समय दर्ज होने से यात्री कमल ताल, शिव लॉट, रुद्रसागर घाट आदि का भ्रमण कर वक्त गुजार सकेंगे।

Comments

Popular posts from this blog

"वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग" को लेकर योग गुरू पिन्की चन्द्रा आयुष मंत्रालय द्वारा प्रमाणित योग प्रशिक्षक ने मनाया अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

भारत में एक बार फ़िर गरीब बच्चों को विशेष अनुभव देंगे वाईकेके और रियल मैड्रिड फाउंडेशन सीएसआर

राजेश सिंह मध्य प्रदेश ज़िला भिंड के ज़िला अध्यक्ष नियुक्त किये गये