असम राइफल्स के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा किए गए वायरल वीडियो
सुनील मिश्रा नई दिल्ली :
प्रिय पत्रकार बंधुओ संबंधित विषय पर जो वार्ता की जा रही है यह सरकार या सेना के विरुद्ध नहीं है| अर्थात ये आपसे अनुरोध है कि इस खबर को सत्यता के आधार पर ही प्रकाशित किया जाए, असम राइफल्स जो कि देश का सबसे पुराना अर्ध सैनिक बल है परंतु दुर्भाग्य पूर्ण बात यह है कि भारत सरकार द्वारा कभी भी बल के कार्यरत जवान और पूर्व सैनिकों के हित में या व्यवस्था के हित में सही और स्पष्ट निर्णय नहीं लिए गए जिसके फलस्वरूप आज असमराइफल्स में आए दिन भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहते हैं और यह उससे भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण है| कि भारत सरकार और गृह मंत्रालय को पता होने के बावजूद भी कोई उचित कार्रवाई ना करते हुए भ्रष्टाचार को पूरी तरह से छिपाने का प्रयास किया जाए, असम राइफल्स के एक वरिष्ठ अधिकारी श्री ओम दत्त शर्मा जी का एक वीडियो आजकल सोशल मीडिया पर चल रहा है जिसमें असम राइफल्स में 100 करोड़ से ज्यादा का भ्रष्टाचार होने की सूचना को सार्वजनिक किया गया है, अथवा अधिकारी द्वारा बताया जा रहा है कि भ्रष्टाचार की शिकायत करने के बाद उन्हें उनके ही घर में बंधक बनाया गया उनके कंप्यूटर मोबाइल लैपटॉप जिनमें सबूत थे वह सब ही छीन लिए गए और यहां तक कि जब यह अधिकारी अपनी अपील लेकर न्यायपालिका गए तो| असम राइफल्स मुख्यालय द्वारा| न्यायपालिका के आदेशों का भी पालन नहीं किया गया अधिकारी ने इसी से संबंधित विषय पर देश के गृहमंत्री ,महामहिम राष्ट्रपति जी प्रधानमंत्री जी नेता प्रतिपक्ष|और सभी जांच एजेंसियों को भी लिखित पत्र से अवगत कराया अपनी शिकायत की उसके बाद भी वह अधिकारी अपनी जान को खतरा बताते हुए खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है तो यह देश की सरकारी व्यवस्थाओं के ऊपर एक बदनुमा दाग है, क्या यह वरिष्ठ अधिकारी भारत सरकार की व्यवस्था का हिस्सा नहीं है , यह अधिकारी भी आपका ही है और इसका पक्ष भी सुनना ही पड़ेगा|
अतः आप के माध्यम से यह कहा जाता है कि असम राइफल्स देश का इकलौता ऐसा अर्धसैनिक बल है कि जिसे दोहरे नियंत्रण में रखा गया है और जिसके जवान भर्ती होने से लेकर रिटायरमेंट तक काउंटर इनसरजेंशी में तैनात रहते है,
असम राइफल्स कि संपूर्ण कमान का नेतृत्व सैन्य अधिकारियों द्वारा किया जाता है| जो कि एक तरह से गैर संवैधानिक है क्योंकि DOPT के नियमों के अनुसार किसी भी विभाग में 80% डेपुटेशन नहीं होता है परंतु असम राइफल्स में सैन्य अधिकारियों की डेपुटेशन 80% है जबकि असम राइफल्स गृह मंत्रालय के अधिकृत आती है परंतु असम राइफल्स में गृह मंत्रालय का अपना कैडर निर्धारित रूप से तैनाती में नहीं है असम राइफल्स में 20% जवानों से अधिकारी बनाए जाते हैं जिन्हें प्रशासनिक सेवाओं की जवाब देह सौंपी जानी चाहिए परंतु ऐसा नही है
असम राइफल्स के जवानों मै से जो 20% अधिकारी बनाए जाते हैं उन्हें प्रशासनिक सेवाओं से वंचित रखा जाता है यही कारण है कि असम राइफल्स में तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो चुकी है,
सैन्य अधिकारियों की 80% डेपुटेशन होने की वजह से असम राइफल्स के जिन जवानों को सूबेदार मेजर के ऊपर असिस्टेंट कमांडेंट और डिप्टी कमांडेंट की नियुक्ति पर पदोन्नति प्रमोशन होने थे| उन्हें उस से भी ही वंचित रखा| गया है क्योंकि असम राइफल्स में उनकी वेकेंसीज| पर कैप्टन और मेजर को डेपुटेशन पर बुलाया गया है,
अगर गृह मंत्रालय को डेपुटेशन करना है तो डेपुटेशन सिर्फ 20% नियमों के अनुसार हो
सकती है असम राइफल्स के कार्यरत और सेवारत जवान अगर न्यायपालिका में भी जाते हैं तो वहां भी एक अस्थाई नियमों की सूची को दिखाकर न्यायपालिका के केस को भी भ्रमित किया जाता है| यह असम राइफल्स के जवानों का दुर्भाग्य है कि वह अपनी लड़ाई अगर लड़ते हैं तो उन्हें मानसिक और शारीरिक शोषण का शिकार होना पड़ता है
गृह मंत्रालय से अपील की जाती है-1.कि सर्वप्रथम पीड़ित अधिकारी ओम दत्त शर्मा जी को भ्रष्टाचार संबंधित विषय पर सबूत और तथ्य| प्रस्तुत करने का एक मौका दिया जाए|
2.जाए ओम दत्त शर्मा जी| द्वारा लगाए गए सभी| आरोपों पर एक न्यायिक जांच कमेटी का गृह मंत्रालय द्वारा गठन किया जाए और उससे यह जांच करवाई जाए और निष्पक्ष जांच कराई जाए
3 अधिकारी ओम दत्त शर्मा को सुरक्षा संरक्षण कराया जाए इस सुरक्षा में कोई भी असम राइफल्स का जवान अधिकारी ना हो
4 जांच प्रभावित ना हो इसलिए यह जांच किसी दूसरे अर्धसैनिक बल यह विभाग के अधिकृत चलाई जाए अथवा वहीं पर अधिकारी को जांच के दौरान असम राइफल्स में ना रख कर दूसरे विभाग में अटैच किया जाए|
असम राइफल्स में ऐसी अप्रिय घटनाओं से संबंधित है बल पर दोहरा नियंत्रण उसे पूरी तरह से खत्म किया जाए 1972 में जो विधेयक|भारत सरकार द्वारा असम राइफल्स के लिए पारित किया गया था उसे पुनः लागू किया जाए और असम राइफल्स में अपने अधिकारी कैडर की सीधी भर्ती की जाए,
असम राइफल्स में जो 20% अधिकारी है उन्हें असम राइफल्स की प्रशासनिक शाखाओं में नियुक्त किया जाए| अथवा असम राइफल्स में सभी प्रशासनिक पदों पर गृह मंत्रालय और असम राइफल्स के कैडर अधिकारियों की नियुक्ति होनी अति अनिवार्य है असम राइफल्स के महानिदेशक का पद प्रशासनिक सेवा में आता है उस पद पर गृह मंत्रालय यात्रा अपने कैडर के अधिकारी की नियुक्ति करें यह नियमों के अनुसार आईपीएस अधिकारी की नियुक्ति करेंकरें
असम राइफल्स के सुधार के लिए गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय एक निर्णायक निर्णय ले| और बल को पूरी तरह से दोहरा नियंत्रण से मुक्त करें अन्यथा दोहरे नियंत्रण के कारण भ्रष्टाचार के मामले बढ़ते ही रहेंगे क्योंकि लोगों में कोई खौफ नहीं है और अगर भारत सरकार इसी तरह से भ्रष्टाचार करने वालों को छूट देती रहेगी तो भ्रष्टाचार कभी भी कम नहीं होंगे और सेना में भ्रष्टाचार के पैर पसारना देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए अच्छी बात नहीं है धन्यवाद
शौर्य चक्र विजेता कमांडेंट रिटायर|वजीर सिंह
श्री किरनपाल सिंह संगठन अर्धसैनिक बल कोऑर्डिनेटर|