वर्तमान वैश्विक समस्याओं का समाधान है संयम


सुनील मिश्रा नई दिल्ली : आचार्य तुलसी के 25वें महाप्रयाण दिवस के अवसर पर अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी द्वारा "वर्तमान वैश्विक परिदृश्य और आचार्य तुलसी का संयम दर्शन"  विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया।जिसका शुभारंभ सुश्री सुधा जैन ने अणुव्रत गीतके मधुर संगान से किया।अणुविभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अविनाश नाहर ने कार्यक्रम का कुशल संयोजन करते हुए आचार्य तुलसी के जीवन परिचय , विशिष्टताओं व अवदानो को प्रस्तुत किया।अणुविभा के अध्यक्ष श्री संचय जैन ने स्वागत वक्तव्य के साथ आचार्य तुलसी की स्मृति को नमन करते हुए कहा दुनिया आज जिन विषम परिस्थितियों में गुजर रही है और जो समस्याएं है उनका समाधान संयम ही है।उन्होने अणुव्रत आन्दोलन एवं संयमित जीवनशैली पर प्रकाश डाला और इसके वैश्विक उपयोग हेतु 500 अणुव्रत एम्बेसडर बनाने  योजना की विस्तृत प्रस्तुति देते हुए इसे लांच भी किया ।
पूर्व न्यायाधिपति श्री जसराज चोपड़ा ने सारगर्भित वक्तव्य देते हुए अणुव्रत को वर्तमान जटिल समस्याओं के समाधायाक के रूप मे प्रस्तुत किया।इस हेतु उन्होने  व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अणुव्रत प्रसार का पुरजोर आह्वान किया।छत्तीसगढ़ उच्चन्यायालय के न्यायाधिपति श्री गौतम चौरड़िया ने आचार्य तुलसी द्वारा रचित अमर गीत “असली आजादी अपनाओ”के सुप्रसिद्ध गायक हरिहरन के गाये गये विडियो की वेबिनार के शुभारम्भ मे की गई प्रस्तुति को रेखांकित करते हुए अपना वक्तव्य प्रारम्भ किया। उन्होने कहा कि महानसंत आचार्य तुलसी युगनिर्माता थे उन्होंने अनेक घोष दिये-संयम है खलु जीवनम; आदि ।आज विश्व को इनकी बहुत जरूरत है क्योकि संयम में बहुत सुख भी होता है ,अत: इसके प्रसार के संगठित  प्रयास के उद्देश्य से लांच अणुव्रत  एबेसडर योजना सफल हो।उन्होने न्यायपालिका में अणुव्रत प्रसार की भावना के साथ आचार्य तुलसी को श्रद्धा नमन किया ।श्री अमित सिंघी ने "तुलसी तेरा नाम हमको प्राणों से भी प्यारा है" गीत का मधुर संगान किया।अणुविभा के महामंत्री श्री भीखम सुराणा ने आचार्य तुलसी को श्रद्धास्मरण करते हुए कहा कि आचार्य तुलसी ने अनेक अवदान मानव जाति को दिये उनमें से अणुव्रत विशिष्ट अवदान है।उन्होंने उपस्थित सभी वक्तागण ,श्रोतागण एवं व्यवस्था पक्ष से जुडे तमाम कार्यकर्ताओं के प्रति आभार ज्ञापित किया।
इसप्रकार उपरोक्त वेबिनार के माध्यम से आचार्य तुलसी के संयम के दर्शन के महत्व को वर्तमान वैश्विक परिदृश्य मे समझा, जाना व सराहा गया।

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