हरियाणवी संस्कृति का नया अध्याय छोटी फ़िल्म "दादा लख्मी चन्द"


सुनील मिश्रा नई दिल्ली : हरियाणवी फिल्म उद्योग मे जान डालती यशपाल शर्मा की यह फिल्म छः वर्षों की मेहनत का फल है। इसमें  रागनी-गायन ठेठ देसी के साथ साथ फिल्म की असली जान उसका संगीत लखमी चन्द के सांग हैं। उत्तम सिंह का उत्तम संगीत फिल्म को ऐमी अवार्ड दिलवाने की क्षमता रखता है। इस फिल्म ने हरियाणवी रागिनी और सिनेमा, दोनों को जिन्दा कर दिया। जिस प्रकार बाहुबली और आर.आर.आर. जैसी अरबों रूपये के बजट वाली दक्षिण भारतीय/क्षेत्रीय फिल्मों ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को एक नई दिशा दी, वही काम आज ‘दादा लखमी चन्द’ जैसी एक छोटी सी, कम खर्चे की फिल्म कर रही है। 1968 में बनी पहली फिल्म ‘धरती’, और चंद्रावल’ (1984),  ‘लाडो बसन्ती’ (2000), ने राष्ट्रीय  पुरस्कार जीतने के बाद अब हरियाणवी फिल्म उद्योग की ‘दादा लखमी’ क्षेत्रीय फिल्मों की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी है। इसने साठ से भी अधिक अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। फ्रांस के प्रतिष्ठित कान फिल्म समारोह के फिल्म बाजार में ‘दादा लखमी’ जैसे हरियाणवी फिल्मों के लिये अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के द्वार खुल सकते हैं।हरियाणा की पारम्परिक लोकनाट्य विधा ‘सांग और सहज भाषा में सहज जीवन के वात्सल्य से लेकर देशभक्ति, इतिहास, दर्शन और पौराणिकता तक का ज्ञान आमजन तक इन सांगों के माध्यम से पहुँचता रहा है।लोक-परम्परा की इसी कड़ी में, हरियाणा के सूर्यकवि लखमी चन्द के सांग सांस्कृतिक प्रतीक के साथ साथ उन्हें “हरियाणा का कालिदास” भी कहा जाता है। अठारह-उन्नीस वर्ष की आयु में ही लखमी चन्द ने अपने गुरुभाई जैलाल नदीपुर माजरावाले के साथ मिलकर अपना अलग बेड़ा बनाने के बाद उनकी प्रतिभा ने एक वर्ष मे नया बेड़ा स्थापित कर दिया था। कुल बयालीस वर्ष की आयु तक दो दर्जन सांगों की रचना के साथ शीघ्र ही पण्डित लखमी चन्द ‘साँग-सम्राट’ के रूप में विख्यात हो गये। इन्हीं सूर्यकवि पण्डित लखमी चन्द पर हरियाणा के अभिनेता-निर्माता-निर्देशक यशपाल शर्मा ने ‘दादा लखमी चन्द’ फिल्म बनाई है. इसमें यशपाल शर्मा, मेघना मालिक, राजेन्द्र गुप्ता, आदि ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं। फिल्म में लखमी चन्द के बचपन की भूमिका में योगेश वत्स, और युवा लखमी की भूमिका निभा रहे हितेश का गायन और सांगी की भूमिका करते समय उनका नर्तन और अभिनय दर्शकों को लगातार बाँधे रखा है यशपाल शर्मा ने जिस प्रकार से मेघना मलिक के माध्यम से एक माँ के हृदय की वेदना को उभारा है, वह अतुलनीय है।

Popular posts from this blog

3,000 करोड़ के राष्ट्रव्यापी फ्रेंचाइज़ी घोटाले का खुलासा:

एआईएमटीसी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. हरीश सभरवाल ने संभाला ट्रांसपोर्ट संगठन का कार्यभार

दिल्ली की मुख्यमंत्री ने "विकास भी, विरासत भी" थीम पर एनडीएमसी की शैक्षिक पहल का शुभारंभ किया ,