एआईसीटीई ने विभिन्य भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग पुस्तकों पर चर्चा के लिए कैलेंडर लॉन्च

सुनील मिश्रा नई दिल्ली : भारतीय भाषाओं और मातृभाषा में तकनीकी शिक्षा- उपलब्ध कराने की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की तर्ज पर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने टेक्निकल एजुकेशन तक सभी की पहुंच उपलब्ध कराने के उदेशय  से 29-11-2022 को इंजिनियरिंग की किताबों पर चर्चा हेतु कैलेंडर लॉन्च किया। इस सेशन में हिंदी, उड़िया और मराठी मीडियम में इंजीनियरिंग किताबों पर चर्चा होगी। किताबों की सीरीज पर विचार-विमर्श 31 जनवरी 2023 को पूरा होगा। 
पांच अलग-अलग पाठ्यक्रमों की किताबों में मैकनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्युनिकेशन, सिविल और कंप्यूटर साइंस शामिल है। एआईसीटीई की इंजीनियरिंग की किताबों पर फरवरी 2023 से शुरू होने वाले विचार-विमर्श में दूसरी भाषाओं, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, पंजाबी, बंगाली, गुजराती, मलयालम, उर्दू और असमिया में छपने वाली  किताबों पर चर्चा होगी। एआईसीटीई के फैकल्टी के निदेशक डॉ.अमित कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि हमने 12 भारतीय भाषाओं में एआईसीटीई की पहल को समन्वित किया। नई दिल्ली स्थित एआईसीटीई के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशा निर्देशों के अनुसार शिक्षण वअध्यापन यथासंभव छात्रों हेतु मातृभाषा में होने चाहिए .क्यों कि नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले छात्र वहां प्रारंभिक शिक्षा से लेकर डॉक्टरेट तक का अध्ययन अपनी मातृभाषा में करते हैं ‘”
उपाध्यक्ष एम पी पुनिया ने कहा ये पुस्तकें शिक्षा तक पहुंच, शिक्षा की गुणवत्ता और हमारे छात्रों की रोजगार क्षमता को बढ़ावा देंगी“ इंजीनियरिंग बुक्स पर हुए डिस्कशन में फर्स्ट ईयर की जिन बुक्स को कवर किया गया, उनमें मैथेमेटिक्स 1 एंड 2, एप्लाइड फिजिक्स-1, अप्लाइड केमिस्ट्री, इंजीनियरिंग ग्राफिक्स, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग और एनवॉयरमेंटल साइंस शामिल है। यह सभी किताबें डिप्लोमा लेवल की है। 
इसमें पाइथन प्रोग्रामिंग, मैटलैब में इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी वर्कशॉप, फ्लूइड मैकेनिक्स, फ्लूइड मशीन, डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स और डाटा स्ट्रक्चर्स थ्योरी एंड प्रैक्टिकल शामिल है भारतीय भाषाओं में शिक्षा देने पर फोकस रखा जाएगा।2022-23 में  एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष की मौलिक किताबें अंग्रेजी में लिखने की प्रक्रिया शुरू की है। इसके बाद इन किताबों का 12 भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा।

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