जैविक खेती समय की मांग – आर. के. सिन्हा
सुनील मिश्रा नई दिल्ली : आज दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैंपस के हंसराज कॉलेज के महामना मदन मोहन मालवीय सभागार में “जैविक कृषि और उसके महत्व” पर आयोजित संगोष्टी के अपने व्याख्यान में राज्य सभा के पूर्व सांसद एवं जैविक खेती के जानकार श्री आर. के. सिन्हा ने कही।
संगोष्टी के अध्यक्ष श्री सिन्हा ने कहा कि प्रकृतिक खेती को ही जैविक खेती कहते हैं जिसमें कीटनाशकों के छिड़काव, पेस्टिसाइड्स, एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग, ग्रोथ हार्मोन और जीवों के जेनेटिक प्रोविज़न के बजाय प्राकृतिक साधनों का उपयोग करके फसलों और पशुधन का उत्पादन शामिल है। खेती में देसी गाय का गोबर और गौ मूत्र का उपयोग करना चाहिए जिससे कृषि भूमि और अधिक उपजाऊ बन सके। हम हवन की भस्मी को भी अपने खेत में डाल दें तो उसका भी बहुत अच्छा परिणाम देखने को मिलता है। यदि आज हम लोग समय पर अपने खानपान और खेती के पद्धति मे बदलाव नही लाते हैं तो हमारे भविष्य मे आने वाली पीढिया नपुंसक हो सकती हैं स्प्रे के रासायनिक और सिंथेटिक उपयोग ने पर्यावरण को बहुत बड़े पैमाने पर खराब कर दिया है। उन्होंने सभागार में उपस्थित 500 से अधिक छात्र-छात्राओं और युवाओं को अपने सेहत के लिए तुरंत चावल, गेहूं, चीनी और डेयरी प्रोडक्ट्स को छोड़ने को कहा।
अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद् के अध्यक्ष लेफ्ट. जनरल (रि.) वी. के. चतुर्वेदी ने अपने संबोधन हमारा खानपान पहले से बहुत समृद्ध रहा है। पहले मिट्टी के बर्तन का उपयोग होता था। हमारा पुराना रहन-सहन ही बहुत अच्छा था। हंसराज कॉलेज की प्राचार्य डॉ. रमा ने बताया कि अब भारत बदल रहा है और इस संगोष्टी में हम सभी अपनी भाषा हिन्दी में बोल रहे रहे हैं। इस संगोष्टी से यहाँ के छात्रों को काफी मार्गदर्शन और जानकारी मिलेगी।