दिल्ली की मुख्यमंत्री ने "विकास भी, विरासत भी" थीम पर एनडीएमसी की शैक्षिक पहल का शुभारंभ किया ,
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आज नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर एनडीएमसी की नई शैक्षिक पहल - "विकास भी, विरासत भी" का शुभारंभ किया, जिससे एनडीएमसी स्कूलों के 28,000 से अधिक छात्र लाभान्वित होंगे और इस अवसर पर एनडी
एमसी के 15 शिक्षकों को भी सम्मानित किया। इस कार्यक्रम में प्रवेश साहिब सिंह वर्मा, सांसद (नई दिल्ली), बांसुरी स्वराज, अध्यक्ष एनडीएमसी केशव चंद्रा, उपाध्यक्ष कुलजीत सिंह चहल, परिषद सदस्य अनिल वाल्मीकि, दिनेश प्रताप सिंह और ओएसडी (शिक्षा), रंजना देसवाल के साथ वरिष्ठ अधिकारी, स्कूलों के प्रमुख, शिक्षक और छात्र उपस्थित थे। एनडीएमसी स्कूल के छात्रों के नए पाठ्यक्रम का अनावरण के बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि शिक्षक हमारे राष्ट्र के सच्चे चित्रकार हैं - आज बच्चों में वे जो मूल्य डालते हैं, वे भारत के कल के जीवंत कैनवास को आकार देंगे। उन्होंने आगे कहा कि "नए पाठ्यक्रम के तहत, हम न केवल विकास बल्कि विरासत भी सिखा रहे हैं । रेखा गुप्ता ने कहा कि बच्चों को नदियों, जंगलों, पहाड़ों और जल के संरक्षण का महत्व सिखाना हमारा पवित्र कर्तव्य है। तभी हम प्राकृतिक संसाधनों की अमूल्य विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचा सकते हैं।
उन्होंने शहर को स्वच्छ, हरा-भरा और सुंदर बनाने के प्रयासों के लिए एनडीएमसी की सराहना की और कहा प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत के दृष्टिकोण को साकार करना होगा । पानी की हर बूँद बचाना, प्रदूषण से लड़ना और यमुना को उसकी प्राचीन गरिमा प्रदान करना इनमें शामिल है । प्रवेश वर्मा ने एनडीएमसी को नए पाठ्यक्रम लागू करने पर बधाई देते हुए कहा कि एनडीएमसी अपने कार्यों में विकास के साथ-साथ विरासत मूल्यों को भी शामिल कर रही है, जिसका एक उदाहरण भारतीय वास्तुकला की झलक से निर्मित घंटाघर का शिलान्यास है।उन्होंने कहा कि यमुना में बाढ़ का कारण यह है कि हमने अपनी नदियों को विरासत नहीं माना और इस दृष्टि से उनका रखरखाव व संरक्षण नहीं किया। यमुना को संरक्षित करने के लिए हमें उसे विरासत का महत्व देना होगा उन्होंने कहा कि हमें विकास और विरासत के बीच संतुलन बनाना होगा
बांसुरी स्वराज ने कहा कि एनडीएमसी द्वारा अपने नए पाठ्यक्रम में जोड़ा जा रहा विरासत का यह नया अध्याय, " विकास के साथ-साथ विरासत" के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को अपनाते हुए, एक मील का पत्थर साबित होगा। यह कार्य "संकल्प से सिद्धि तक" जाने का एक बेहतर प्रयास है।
एनडीएमसी अध्यक्ष केशव चंद्रा ने कहा कि एनडीएमसी का यह " विकास भी , विरासत भी " पाठ्यक्रम - नई शिक्षा प्रणाली के तहत नए पाठ्यक्रम के साथ बदलाव की विरासत भी है। प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए आदर्श वाक्य - "विकास भी, विरासत भी" के तहत, इस नए पाठ्यक्रम में योग, अंकगणित और प्राचीन ज्ञान परंपराओं को शामिल किया गया हैइसमें नई परंपरा और ज्ञान की शिक्षा भी साथ साथ दी जाएगी, जो विकसित भारत के कदमों के तहत भारतीय विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुँचाएगी।
उपाध्यक्ष कुलजीत सिंह चहल ने कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री अपने छात्र जीवन से ही शिक्षा के क्षेत्र में नए प्रयोग करने के लिए सदैव तत्पर रही हैं। शिक्षा के क्षेत्र में एनडीएमसी का पहला उद्देश्य प्रधानमंत्री की विकसित भारत की सोच और मेरे विचार को आगे बढ़ाने में मदद करना होगा। शिक्षा के क्षेत्र में प्रधानमंत्री के "विकास भी और विरासत भी" के अंतर्गत, सबसे पहले एनडीएमसी के नए पाठ्यक्रमों में पंच प्राण, प्रकृति से शिक्षा, योग, भारतीय ज्ञान परंपरा को शामिल किया गया है। नए पाठ्यक्रम की विशेषताओं को बताते हुए चहल ने कहा कि यह पहल प्राकृतिक परिवेश में सीखने, योग और कल्याण शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति आधारित शिक्षा, भारतीय दर्शन और गुरु-शिष्य परंपरा को समझने, भाईचारे, करुणा और सम्मान के शाश्वत मूल्यों को स्थापित करने पर केंद्रित होगी। "विकास भी, विरासत भी" के विजन और शैक्षणिक दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए एक विशेष रूप से तैयार की गई पुस्तिका भी आज जारी की गई है।
मुख्यमंत्री, दिल्ली ने अटल आदर्श और नवयुग स्कूलों के 15 उत्कृष्ट शिक्षकों/शिक्षाविदों को शिक्षा के क्षेत्र में उनके अनुकरणीय योगदान के लिए सम्मानित किया, उनमें मोनिका आनंद (प्रधानाचार्य), रमा जोशी (हेड मिस्ट्रेस), डॉ. रचना मोहन (पीजीटी अंग्रेजी), नरेश कुमार (पीजीटी कंप्यूटर साइंस), सीवेंद्र सिंह (पीजीटी इतिहास), देब डी. दत्ता (पीजीटी चित्रकला), कमलेश कुमारी (टीजीटी कार्य अनुभव), रेणु सचदेवा (टीजीटी प्राकृतिक विज्ञान), हरीश कुमार रावत (टीजीटी अंग्रेजी), वर्षा सिंह (टीजीटी अंग्रेजी), कैलाश चंद्र दक्ष (टीजीटी गणित), संजय कुमार यादव (सहायक शिक्षक), पारुल चौधरी (टीजीटी शारीरिक शिक्षा), एस. ग्लोरी मैरी (सहायक शिक्षक), सरोज (टीजीटी चित्रकला ) शामिल है । एनडीएमसी की ओएसडी (शिक्षा) रंजना देसवाल ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए एनडीएमसी द्वारा अपनाए गए नए पाठ्यक्रम के साथ भविष्य के विजन की व्याख्या की और कहा कि "विकास भी, विरासत भी" के साथ, हमें विश्वास है कि हम शिक्षा का एक ऐसा अनुकरणीय मॉडल तैयार कर पाएँगे , जो परंपरा और आधुनिकता का मिश्रण होगा।