मनजीत सिंह जी के ने श्री अकाल तख्त साहिब की जाँच कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की माँग की


सुनील मिश्रा नई दिल्ली :   शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा श्री गुरु ग्रंथ साहिब के सैकड़ों स्वरूपों की दस्ती एंट्री दिखाकर गायब करने के मामले में शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल की चुप्पी के खिलाफ 'जागो' पार्टी उनके दिल्ली निवास पर शांतिपूर्ण रोष प्रदर्शन करेंगी। 2 सितंबर को पार्टी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके के नेतृत्व में संगत जपुजी साहिब का पाठ करने के बाद सुखबीर की जमीर जागने तथा गायब या नष्ट हुए स्वरूपों के लिए पश्चाताप की अरदास करेंगी।उपरोक्त प्रदर्शन की शुरुआत थाना तुगलक रोड के नजदीक लोक कल्याण मार्ग मेट्रो स्टेशन से करने की जानकारी आज जीके ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए दी। जीके ने कहा कि अजीब हालात है, छोटे-छोटे मसले पर जाँच कमेटी बनाने तथा दुसरों के खिलाफ सच्ची-झूठी शिकायतें पुलिस को देने वाले अकाली आज 453 गायब स्वरूपों के मामले में चुप है। हमारे गुरु साहिबानों ने बाणी को गुरू का दर्जा दिया और सुप्रीम कोर्ट ने भी ग्रंथ साहिब को जीवित व्यक्ति माना है। लेकिन उसके बावजूद अपने आपको पंथक बताने वाले अपने गुरु की बेअदबी और बेकद्री पर चुप है।

जीके ने दावा किया कि उक्त स्वरूप 2013  से 2015 के बीच फर्जी एंट्री दिखाकर गायब किए गए है। अगर किसी आम आदमी ने एक स्वरूप घर लेकर जाना हो तो बहुत औपचारिकता पुरी करनी पड़ती है। स्वरूप के प्रकाश करने के स्थान से लेकर ले जाने वाले लोगों की पहचान तथा गुरु प्रति प्रेम को भी जाँचा जाता है। पर शिरोमणी कमेटी यह नहीं बता पा रहीं कि यह स्वरूप कौन ले गया, किस कार, ट्रक या ट्रैक्टर पर गए ? जीके ने दावा किया कि सुखबीर बादल के कहने पर शिरोमणी कमेटी ने यह स्वरूप उन डेरों को दिए है, जो सिख रहत मर्यादा को नहीं मानते है। सियासी फायदे के लिए स्वरूपों को दस्ती या उधारी खाते में गया हुआ बताया जा रहा है। जीके ने सवाल किया कि क्या कोई अपने गुरु को दस्ती किसी को दे सकता है ? जीके ने कहा कि सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल को 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव बठिंड़ा से जीताने के लिए उक्त स्वरूपों को डेरों के वोट बैंक को प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किया गया हो, इस आशंका को भी खारिज नहीं किया जा सकता है। 2007 में डेरा सिरसा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के द्वारा गुरु गोबिंद सिंह का स्वांग रचाने के बाद से सुखबीर और डेरे की रासलीला जगजाहिर है। 2015 में बुर्ज जवाहर सिंहवाला से स्वरूप चोरी होने के बाद पन्ना-पन्ना करने के बाद बरगाड़ी की गलियों-नालियों में डेरे के प्रेमीयों के द्वारा बिखेरा जाता है। जो संगत इसके विरोध में रोष प्रदर्शन कर रही होती सुखबीर की पुलिस उन पर गोली चलाती है और 2 सिख शहीद हो जाते है। लेकिन सुखबीर तब भी गोली चलाने वाले पुलिसकर्मियों का नाम ना बताकर उसे अनजान पुलिस बताते है। उसी तर्ज पर अब स्वरूप कौन से डेरे ले गए वो भी अनजान हैं। सुखबीर अनजान पुलिस के बाद अब अनजान डेरों के पीछे छिपने की कोशिश कर रहें है।

जीके ने इस मामले में श्री अकाल तख्त साहिब की जाँच कमेटी की 1000 पृष्ठ की संपूर्ण रिपोर्ट सार्वजनिक करने की माँग करते हुए रिपोर्ट को अकाल तख्त साहिब की वैबसाइट पर प्रकाशित करने की सलाह दी। जीके ने इस रिपोर्ट के आधार पर शिरोमणी कमेटी द्वारा अपने कुछ कर्मचारीयों के खिलाफ की गई कार्रवाई को ढकोसला तथा असली दोषियों को बचाने की कोशिश बताया। जीके ने सिख कौम की सभी संस्थाओं को लापता स्वरूपों के लिए अखंड पाठ/सहज पाठ तथा पश्चाताप की अरदास करने की अपील करते हुए अपने नजदीकी थानों में दोषियों के खिलाफ धारा 302 तथा 295ए की शिकायत दर्ज करवाने की भी सलाह दी।

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