दिल्ली पुलिस के सबइंस्पेक्टर ने अपने ही थाने के एसएचओ की खोली पोल लगाए आरोप, कहा- बिना पैसे के कोई काम नही होता.
नई दिल्ली : दिल्ली के पंजाबी बाग थाने का एक मामला तब खुला जब एक सबइंस्पेक्टर ने थाने की जनरल डायरी में अपने ही थाने के एसएचओ के विरूद्ध गंभीर आरोप लगाए . जनरल डायरी के अनुसार थाने में बिना पैसे के कोई काम नहीं होता. जनरल डायरी, जिसमें थाने की रोजाना की गतिविधि दर्ज की जाती है. दिल्ली पुलिस का कहना है कि आरोपों की विभागीय और विजिलेंस जांच की जा रही है.
दिल्ली के सब इंस्पेक्टर मनोज कुमार मीणा ने जनरल डायरी में लिखा, '' मैं थाने में था मैंने मारपीट के एक मामले में आरोपी योगेश को फोन कर जांच में शामिल होने के लिए कहा ,इसके बाद थाने के एसएचओ इंदर पाल ने फोन कर कहा कि योगेश को थाने में बुलाने में जरूरत नहीं है मेरी बात हो गई है. इसके बाद मैंने एसएचओ को कहा कि ये केस का मुख्य आरोपी है लेकिन इसके बाद भी एसएचओ ने योगेश को अरेस्ट न करने के लिए कहा. इसके बाद मैंने कहा कि मैं फ़ाइल लेकर कहां जाऊं, इस पर एसएचओ ने कहा कि योगेश को तंग नहीं करोगे तुम अपने आप देखो क्या करना है.''
''एसएचओ ने ये भी कहा कि सीनियर अफसरों ने योगेश को थाने बुलाने से मना किया है,इसके कुछ दिन बाद आरोपी योगेश ने मुझे बताया की जब कुछ दिन पहले मेरी मां थाने में आयी थी तो हेड कॉन्स्टेबल ऋषि कांत ने कहा कि सबइंस्पेक्टर मनोज कौन होता है,मैं एसएचओ का खास आदमी हूं, उसने 32,000 हज़ार रुपये लिए थे,एसएचओ का सारा काम मैं ही करता हूं. मैं जो कहूंगा वही होगा,मैं डीडी एंट्री के माध्यम से प्रार्थना करता हूं कि आरोपी योगेश से हेड कॉन्स्टेबल ऋषि कांत की पहचान कराई जाए जिससे सच्चाई सामने आये.''
इस तरह की ये पहली घटना नहीं है,इसके पहले अनेकों बार जांच अधिकारियों के पास आयी कॉल्स और शिकायतें एसएचओ ने हेड कॉन्सटेबल ऋषि कांत को दे दीं और इल्ज़ाम जांच अधिकारियों पर गया,एसएचओ इंदर लाल जांच अधिकारियों पर पैसे कमाने का अनुचित दबाव बनाकर नौकरी बर्बाद करने की धमकी देते रहते हैं. पैसे से जांच करने वाले अधिकारियों और बीट ऑफिसर्स की प्रशंसा करते हैं,सीनियर ऑफीसर्स को जानकारी देने के लिए ये डीडी एंट्री दर्ज कर रहा हूं. मुझे अंदाज़ा है कि इस डीडी एंट्री के बाद एसएचओ साहब मेरे खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश करेंगे लेकिन मेरे पास यही आखिरी तरीका था. मैं पूरी तरह से मानसिक उत्पीड़न से परेशान हूं यही हाल थाने के दूसरे जांच अधिकारियों का है, जो थाने के कमाऊ पूत नहीं है,आप दूसरे जांच अधिकारियों को बुलाकर
गुप्त तरीके से एसएचओ के व्यवहार के बारे में पूछ सकते हैं और मेरी शिकायत को परख सकते हैं. ''
''सर मैं कोई नाक़ाबिल अफसर नहीं हूं लेकिन पैसे कमाकर नहीं दे सकता,इसी कारण मुझे 12-12 घण्टे की लगातार डे इमरजेंसी ड्यूटी देनी पड़ती है,मुझे ड्यूटी से कोई परेशानी नहीं है लेकिन कोई कॉल आते ही एसएचओ साहब हेड कॉन्स्टेबल ऋषि कांत को बीच में दखलंदाजी करने के लिए भेज देते हैं. इसके बाद ऋषि कांत डीलिंग शुरू कर देता है,मैं 2010 बैच का सबइंस्पेक्टर हूं और पूरे होश में सीनियर अधिकारियों को बता रहा हूं, थाने का ईमानदार स्टाफ एसएचओ साहब से परेशान है क्योंकि पैसे कमाकर नहीं दे पाते. पैसे कमाने वाले स्टाफ को एसएचओ साहब मनचाही बीट और डिवीजन देते हैं,जो स्टाफ मंथली बढ़ाकर नहीं देता उसे एसएचओ हटा देते हैं या हटाने की धमकी देते रहते हैं. डीडी की एंट्री सीनियर अधिकारियों की जानकारी के लिए दर्ज की जा रही है.''
एसएचओ इंद्रलाल पंजाबी बाग थाने के पहले जनकपुरी थाने में एसएचओ थे लेकिन एक साध्वी महिला से यूनिफॉर्म में हेड मसाज करने की फोटो वायरल हो गई थी, जिसके बाद पुलिस कमिश्नर ने उन्हें लाइन हाजिर कर दिया था. अभी कुछ दिनों पहले ही फिर से बतौर एसएचओ उनकी तैनाती हुई थी.