सनातन धर्म के आगे ताज़ महल की औकात ही क्या!

इससे खूबसूरत क्या होगा ।



सुनील मिश्रा नई दिल्ली :  बहुत बड़ी साजिश करी है वामपंथी इतिहासकारों ने सनातन धर्म के खिलाफ वरना इसके सामने ताज महल की क्या औकात
#अतुल्य_भारत
#उत्कृष्ठ_शिल्पकारी...
शब्द खामोश हो जाएंगे और आँखों पर विश्वास नहीं होगा.
कोई भी शब्द न तो इसकी सुंदरता का वर्णन कर सकता है और न ही किसी को प्रशंसा करने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि ये नक्काशियाँ अपनी सुंदरता की गाथा स्वयं गाते हैं. यह हमारे इतिहास के किताबों में नहीं है क्योकिं इसे मुगलों ने नहीं बनवाया. हम अपनी विरासतों का प्रचार तब तक करेंगे जब तक हमारे मंदिर इतिहास की किताबों के पहले पन्नें पर ना दिखने लगे ।
अब जरा सोचिए बिना किसी तकनीक के क्या केवल छेनी और हथौड़ी से यह सब कैसे संभव है?? एक हल्की सी गलत चोट क्या पूरी मूर्ति को खराब नहीं कर सकती थी?? और अगर छेनी -हथौड़े से संभव है तो आज इतनी तकनीक के बावजूद भी इतनी सटीकता से कोई इसकी प्रतिलिपि क्यों नहीं बना पाता है ??
ऐसे हजारों आश्चर्य है सनातन में लेकिन कुछ वामपंथी इतिहासकारों ने इनको आश्चर्य ही बनाकर रहने दिया किसी के सामने आने ही नहीं दिया और हमारी विडंबना देखिए कि हम बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन हमें हमारे पूर्वजों द्वारा बनाई गई इन महान कलाकृतियों का ज्ञान भी नहीं है। धन्य है हमारे वह पूर्वज जिन्होंने यह सब कुछ बनाया धन्य है हमारी सनातन संस्कृत
हमारे मंदिरों को नष्ट करने वालों को पता नहीं था कि अगर एक भी स्तंभ बच गया तो वह सनातनियों के स्वाभिमान को जगाने के लिए पर्याप्त है❓
अब सोचिये,
क्या हमारे पूर्वजों ने इतनी बारीक नक्काशियाँ को केवल छेनी-हथौड़ी से बनाया था?
चोलों ने 2100 वर्ष राज किया
चालुक्यों ने 700 वर्ष राज किया
अहोम राजवंश ने 700 वर्ष राज किया
पल्लवों ने 600 वर्ष राज किया
राष्ट्रकूटों ने 500 वर्ष राज किया
मुग़लों ने केवल 200 वर्ष राज किया
लेकिन हमारे इतिहास की किताबों में आलीशान मंदिरों और उन्हें बनाने वाले महान शासकों के बारे में कोई जिक्र नहीं है । वहीं 40000 मंदिरों को तोड़ने वाले मुगलों की महानता के झूठी कसीदों से आखिरी पन्ना भी अछूता नहीं है ।
काशीराज_कालीमंदिर_बनारस_उत्तरप्रदेश यह शिल्पकारी लकड़ी पर नहीं, बल्कि पत्थर पर की गई नक्काशी है। हमारे पौराणिक हिंदू मंदिरों में ऐसी उत्कृष्ट कलाकृतियों का खज़ाना भरा पड़ा है जो किसी भी अजूबे से कम नहीं, लेकिन आज भी इन कलाकृतियों को वह पहचान नहीं मिल पाई जिसकी वह हकदार है। इस शिल्पकारी को एकटक निहारियेगा जहां भगवान कृष्ण गोपियो के वस्त्र हरण का बेहद सुंदर चित्रण मिलेगा।

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