किसानों तक नहीं पहुंचा चावल, सरकारी कागजों पर उड़ते रहे आंकड़े


रितेश मिश्रा : भारत मैं बिहार एक ऐसा राज्य है जहाँ से देश को सबसे ज्यादा अधिकारी  मिलते है मगर एक सच्चाई यह भी है बिहार के लोग ही बड़े बड़े महानगरों में अपने बीवी बच्चो सहित मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करने मैं लगे है वैसे तो बिहार का इतिहास कुछ कम यादगार नहीं है यहाँ के बाहुबलियों के नाम पुरे देश में चर्चित है मगर सबसे यादगार बात यहाँ के घोटालों की है जिसकी गूँज पुरे विश्व में है फिर चाहे वो पुल डह  जाने का घोटाला हो गर्भाशय घोटाला हो या फिर चारा घोटाला हो. घोटालों की परंपरा इस राज्य मैं हर साल पुरे रीती रिवाज से मनाई जाती है ऐसा ही एक नया घोटाला भारतीय खाद्य निगम और बिहार सरकार की मिलीभगत से देखने को मिल रहा है जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने बिहार सरकार को भारतीय खाद्य निगम से 14 लाख 60 हजार 659 टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा था मगर बिहार सरकार ने 8 लाख 78 हजार 931 टन धान की खरीद की. जानकारी के मुताबिक बिहार राज्य में भारतीय खाद्य निगम के पास स्टोरेज छमता इतना माल रखने की है नहीं! मामले की लीपापोती करते हुए राज्य सरकार ने भी बोल दिया कि तक़रीबन साढ़े चार लाख किसानों को फायदा पहुँचाया गया है. मतलब साफ़ है बिहार में अब चूहे तो दूर सरकारी कागजों की सफेदी ही करोडो रुपयों का धान खाए जा रही है अब ऐसे में सवाल खड़ा होता है नितीश सरकार पर जिस सरकार ने चुनाव से पहले भ्रस्टाचार खत्म करने का एक बुलंद वादा भी किया था!
Regards 
Ritesh
Member
Fci 
Govt of india

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