सिनेमा और पत्रकारिता एक सिक्के के दो पहलू है पत्रकारिता के बिना सिनेमा अधूरा है
सुनील मिश्रा : सिनेमा और पत्रकारिता के बीच संबंध न्यू मीडिया का चलन और व्यवहार विषय को लेकर 10वे ग्लोबल फेस्टिवल ऑफ़ जर्नलिज्म के अंतिम दिन वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमे एएएफटी यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. संदीप मारवाह ने कहा की पत्रकारिता पिछले कुछ दशकों से कई बड़े तकनीकी परिवर्तनों से गुजर रही है। इन परिवर्तनों की गति दिनोंदिन तेज हो रही है, वहीं उन्होंने कहा की सिनेमा हमारी पहचान बन गई है उसके बिना हमारा जीवन अधूरा सा लगता है लेकिन आज का जमाना बदल गया है फिल्म का एक गाना सोशल मीडिया पर डाल दिया जाता है और उस गाने पर इतनी वीडियो आती है और रिलीज़ से पहले ही हिट हो जाती है फिर भी सिनेमा और पत्रकारिता एक सिक्के के दो पहलू है। इस अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत करने लेखक कवि लक्ष्मीशंकर बाजपाई, भारती प्रधान फिल्म क्रिटिक, पूर्व गवर्नर सिक्किम बाल्मीकि प्रसाद सिंह, सुशील भारती डायरेक्टर ब्रॉडकास्टिंग,आर.के. सिंह इंजीनियर इन चीफ दूरदर्शन व कुंवर शेखर विजेंद्र चांसलर शोभित यूनिवर्सिटी ने इस वेबिनार में शिरकत की। लक्ष्मी शंकर बाजपाई ने कहा पत्रकार को अपनी पत्रकारिता और कलम पर भरोसा होना चाहिए आज की मीडिया का स्वरुप तेजी से बढ़ता जा रहा है क्योकि तकनीक बढ़ रही पहले सिर्फ समाचार पत्र होता है लेकिन अब आपको हर सेकेंड में नई खबर मिलती रहती है आपके मोबाइल में। भारती प्रधान ने कहा की शुरू से ही पत्रकारिता के बिना सिनेमा अधूरा है क्योकि जब भी कोई फिल्म बनती है तो फिल्म क्रिटिक को दिखाई जाती है तब उनसे पूछा जाता है की फिल्म में क्या कमी रह गई तो उनके विचार जानकर कई बार तो फिल्म का एंड भी बदल दिया जाता है। बाल्मीकि प्रसाद सिंह ने कहा कि पत्रकारिता अपने पाठकों को इतिहास देखने की अनुमति देती है, और फिल्म फिक्शन में जीने का मौका देती है।
अंत में संदीप मारवाह ने कहा की इन तीन दिवसीय समारोह में 9 सत्र, 17 कार्यक्रम, 135 वक्ताओं के साथ 3 पुरस्कार समारोह और 25 देशों के पुरस्कार विजेताओं को देखा गया। सेमिनार, फोटोग्राफी प्रदर्शनियां, किताबों का विमोचन, पोस्टर विमोचन और एक वीडियो लॉन्च इस मेगा इवेंट का हिस्सा थे!