श्रीमदजगद्गुरु शंकराचार्य ज्योतिषपीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज करेंगे श्री रामचरितमानस के हिंदी काव्यानुवाद
सुनील मिश्रा नई दिल्ली, 1 अप्रैल,23: विश्व में सबसे प्राचीन भारतीय संस्कृति का भारत मे विकास श्री रामचरितमानस और महाभारत दो महाकाव्यों के आधार पर विकसित हुआ है।
इस काव्यानुवाद का विमोचन दिनांक 4 अप्रैल को सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में श्रीमदजगद्गुरु शंकराचार्य ज्योतिषपीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज द्वारा किया जा रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री भारत सरकार करेंगे। जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामराजेश्वराचार्य, महंत रवींद्र पुरीजी महाराज, स्वामी जितेन्द्रनाथ जी महाराज, दण्डी स्वामी जितेन्द्रनाथ सरस्वती जी महाराज, माननीय श्री अनुराग सिंह ठाकुर, सूचना और प्रसारण तथा खेल तथा युवा मामले के मंत्री विशिष्ट अतिथि होंगे। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में रचित श्रीरामचरितमानस भारतीय भाषाओं में सबसे प्रमुख महा-काव्य है। जिसमें भगवान श्रीराम का जीवन-चरित्र भारतीय मूल आधार है। प्रभु श्री राम के चरित्र-चित्रण में गोस्वामीजी ने एक आदर्श पुत्र, एक आदर्श भाई, एक आदर्श पति और एक आदर्श शासक के गुण तथा उपरोक्त सभी भूमिकाओं में संतुलन-निर्वाह का बखूबी वर्णन किया है। जो असत्य पर सत्य की विजय की उपादेयता को प्रतिपादित कर भारतीय मूल्य-प्रणाली और समाज में आचरण के मानदंड को परिभाषित करता है।
श्री राम की कथा को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से मध्यकाल में संस्कृत के प्रकांड पंडित गोस्वामी तुलसीदास ने रामकथा को रामचरितमानस के रूप में उत्तर भारत में प्रचलित जनभाषा अवधी को चुना। अति कर्ण-प्रिय और अर्थवान होने पर भी महाकाव्य को मध्यकाल की जन-भाषा अवधी भाषा में लिखा गया है। यह सम-सामयिक आवश्यकता है कि अवधी में लिखे इस अद्भुत महाकाव्य को हिंदी काव्य-रूप में घर-घर तक पहुंचाया जाए। महाकाव्य को घर-घर तक पहुंचाने के लिए डॉ. धीरज भटनागर ने पिछले दो वर्षों मे गोस्वामी तुलसीदास-कृत श्रारामचरितमानस का खड़ी बोली हिंदी में काव्यानुवाद सम्पूर्ण किया है। काव्य-अनुवाद के सुंदरकांड को सोशल मीडिया यथा यूट्यूब पर ऑडियो रूप में भी लॉन्च किया जा रहा है।
पुस्तक का मुद्रण रेप्रो बुक्स लिमिटेड ने किया है। चित्र-विन्यास विजय वर्मा ने किया है। सुन्दर काण्ड के ऑडियो प्रारूप के लिए संजय कुमार झा ने संगीत दिया है, जिसके लिए सुरेश वाडकर, पंडित आनंद शर्मा, सुश्री तुलसी कुमार, कपिल शर्मा, श्रीमती पद्मा वाडकर, सुश्री संजीवनी भिलन्दे, श्री देबोजीत साहा, सुश्री लीना बोस, सुश्री इन्द्राणी भट्टाचार्जी, श्री दुष्यंत प्रताप सिंह, श्री सचिन शर्मा, सुश्री सुगंधा दाते और श्री संजय कुमार झा ने अपनी आवाज़ दी है।