भ्रष्ट प्राशासनिक अधिकारियों द्वारा दिल्ली के यमुना खादर मे गैरकानूनी होती है बसावट


क्षेत्रीय नेता, सामाजिक संगठन बने रहते हैं अनजान 
सुनील मिश्रा नई दिल्ली : 
आज के दिल्ली की भयावह तस्वीर से भारत सरकार और राज्यों के सरकारो के विकास की पोल खोलती है कि जनता की गाढी कमाई के पैसे का किस विकास मे खर्च हो रहा है ये दिल्ली के यमुना खा-दर की तस्वीर है जहाँ देश के कोने कोने से अजीब गरीब लोग आकर बस गये और यमुना नदी के किनारे डूब क्षेत्र मे पानी से यमुना की सूखी जमीन पर पेड़ों के बीच मे कब्ज़ा कर झोपडी बना ली और गाय भैन्स पाल कर रहना शुरू कर दिया.
दिल्ली की डूब यानि यमुना के अवैध जमीन पर अवैध कब्ज़ा सरकारी प्रशासन के प्रशासनिक व्यवस्था की लापरवाही और भ्रष्टाचार की खुले आम पोल खोल रही है.
सवाल उठता है कि टैक्स देने वाली जनता परेशान है और टैक्स लेने वाली सरकारे सियासत मे जुटी हुई है सोचने का विषय ये है कि आखिर दिल्ली की कानूनी एवं प्रशासनिक व्यवस्थाएं दिल्ली के डूब क्षेत्रों मे गैर कानूनी तरीके से बसावट कैसे करा देती हैं और सांसद, विधायक, पार्षद के आंखों के सामने यमुना नदी मे अवैध जमीन पर लोगों को बसा दिया जाता है और यही नेता खुले आम इन क्षेत्रों मे वोट माँगने धडल्ले से जाते हैं तो साफ़ है कि ये अवैध एवं गैरकानूनी बसावट, गैरकानूनी सुविधाएं बिना कानूनी व्यवस्था के केवल प्रशासनिक अधिकारियों और क्षेत्रीय नेताओ के मिलीभगत से कर दिया जाता है और ईमानदारी तथा कानूनी रूप से टैक्स देने वाली जनता का टैक्स का पैसा किस कदर बर्बाद किया जाता है. आखिर सरकार बताए के टैक्स का पैसा किस विकास के मद मे खर्च होता है किसके लिये होता है या फ़िर सिर्फ़ कागजों और भाषणो मे किया जाता है आज जनता को इन सब मामलो मे जागरूक होने की जरूरत है. 
सरकारो, नेताओ को सोच लेना चाहिये कि वे खुद देश की जनता की गाढी कमाई का टैक्स के पैसे से अनेक प्रकार की फ़्री की हाई प्रोफ़ाइल सुविधाओ मे रहते हुए उसका कितना हिस्सा जनता के सुविधाओ पर खर्च करती है सडके धंस रही है, गड्ढे मे सडक है, नालियों मे कूड़ा भरा है, नाले सीवर जाम हैं, पानी की निकासी बन्द है इन सब समस्याओं का जिम्मेदार कौन है दिल्ली की ही बात करे राज्य के मुख्यमन्त्री केजरीवाल सम्भाल रहे हैं देश भारत सरकार के नरेन्द्र मोदी सम्भाल रहे हैं तो राज्य को पैसा देकर उसका लेखाजोखा क्यों नही लिया जाता सवाल उठता है कि चुनाव के समय ही ये भ्रष्टाचार पता चलता है या बाढ आने के बाद ही असली पैसा कहाँ लगता है सरकारे क्या करती हैं इसका खुलासा होता है. 
आज जनता को सरकार को दिये जाने वाले टैक्स के पैसा का हिसाब कहीं न कहीं तो मांगना ही पडेगा . जिम्मेदार अधिकारियों पर आवश्यक रूप कार्यवाई की जानी चाहिए.

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