दिल्ली मे स्पीड गवर्नर व जीपीएस के निर्माण व बिक्री के नाम पर जबरदस्त घोटाला और भ्रष्टाचार - राजकुमार
सुनील मिश्रा नई दिल्ली। नई दिल्ली के प्रेस क्लब मे आयोजित यूनाइटेड फ्रंट फॉर ट्रक ट्रांसपोर्ट एंड सारथी एसोसिएशन की प्रेस वार्ता मे प्रेसिडेंट राजकुमार यादव ने आरोप लगाते हुए दिल्ली में वहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर अरबों का घोटाले का खुलासा किया है। इस मामले में राजकुमार ने पीएम, गृह मंत्री, एलजी, सीएम और ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर को पत्र लिख कर इस घोटाले की जानकारी दी है । इस मौक़े पर यूएफ़टीटीएसए से अधिकारी मौजूद थे। राजकुमार ने कहा कि मैं दिल्ली में व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस लगाने के नाम पर हो रहे अरबों के घोटाले और भारी लूटमारी व नियमावली के नाम पर गैरकानूनी रूप से कई गुना दाम वसूले जा रहे हैं। उन्होंने कहा इसे 9000 से ₹9500 लेकर सिर्फ फिटनेस वाली गाड़ी में इंस्टॉल कर के पास कराना, फ़िर दलालों के द्वारा इसे उतार लेना खुले आम लूट करने का ज़रिया है। वह पैनिक बटन वाला जीपीएस है जिसका कोई मदद अपेक्षा अनुसार नहीं मिली l यह बस राज्य सरकार के परिवहन विभाग द्वारा वसुली का जरिया ही प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि मैंने निजी तौर पर इसे सार्वजनिक टैक्सी मे पैनिक बटन दबाकर देखा, नतीजा शून्य l राज्य सरकार व उसके अधीन परिवहन विभाग दोनों की मिली भगत से बड़े घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है l बगैर पैनिक बटन वाले जीपीएस के गुड्स करियर को फिटनेस सर्टिफिकेट मुहैया नहीं कराया जाता हैl परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारि ही ऑफ रिकॉर्ड यह मानते हैँ कि गुड्स कैरियर पर इसकी कोई बाध्यता नहीं है, परंतु सच्चाई व स्थिति इसके विपरीत ही है गुड्स करियर को बगैर जीपीएस के फिटनेस सर्टिफिकेट क्यों नहीं दिया जाता है? अधिकांशतः मूल रूप से खनन वाले (कोयले /लौह अयस्क / रेत / गिट्टी) परिवहन वाले क्षेत्र में जीपीएस का प्रयोग किया जाता है परंतु वहां भी पैनिक बटन वाले जीपीएस की बाध्यता नहीं है l उन्होंने कहा कि दिल्ली अकेला एक ऐसा प्रदेश है जहां सुविधाओं के नाम पर ट्रक ट्रांसपोर्टरों व भारी व्यवसायिक वाहन मालिकों की जेब काटी जाती है. क्योंकि अन्य प्रदेशों में जो जीपीएस की बाजार में उनकी वास्तविक कीमत ₹2000 से ₹3000 होती है और इनमे लगने वाले जीपीएस से निरंतर गाड़ी की ट्रैकिंग हो सकती हैं किन्तु दिल्ली प्रदेश में जीपीएस मशीनें परमानेन्ट न लगाकर जीपीएस को दलालों के द्वारा फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए मोटी रकम बसूलने के तुरंत बाद ही उतार लिया जाता हैl जीपीएस चेक करने के नाम पर गाड़ियों की फिटनेस के समय जीपीएस को पास करने के नाम पर खुलेआम ₹2000 से ₹4000 वसूली हो रही है. कृपया इस भ्रष्ट व्यवस्था व लूट पद्धति को शीघ्रता शीघ्र बंद किया जाए ! उन्होंने पीएम, गृह मंत्री, एलजी, सीएम, ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर आदि को पत्र भेजकर इस में उचित दिशा निर्देश जारी करने की माँग की है ताकि परिवहन व्यवसाय को बचाने में मदद मिल सके ।