पहले राजमहल में, 22 को मंदिर में और फिर जन-जन में लौटेंगे श्रीराम – दत्तात्रेय होसबाले

सुनील मिश्रा नई दिल्ली। श्रीराम मंदिर के निर्माण की ऐतिहासिक व गौरवपूर्ण यात्रा को रेखांकित करती वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा जी की पुस्तक ‘राम फिर लौटे’ का लोकार्पण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी, स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता जी, विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार जी ने किया तथा पुस्तक का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन ने किया है।
सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि राम शुभ हैं, राम मंगल हैं, राम प्रेरणा हैं, विश्वास हैं। वे धर्म की मूर्ति नहीं विग्रह हैं, स्वयं धर्म हैं। जीवन का मर्म हैं, आदि और अंत हैं। प्रभु श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के पश्चात पहले राजमहल में और अब 500 वर्षों के संघर्ष के पश्चात 22 जनवरी को जन्म स्थान पर बने भव्य मंदिर में लौट रहे हैं। इसके बाद श्रीराम जन-मन के हृदय मंदिर में लौटेंगे। राम मंदिर पर्यटन का केंद्र नहीं है अपितु यह तो तीर्थाटन का स्तंभ है। श्रीराम की अयोध्या यानि त्याग, लोकतंत्र, मर्यादा है। धर्म की पुनर्स्थापना के लिए संघर्ष सदैव से होता आया है, श्रीराम जन्मभूमि के लिए 72 बार संघर्ष हुआ, हर पीढ़ी ने लड़ाई लड़ी, किंतु कभी हार नहीं मानी। इस संघर्ष में हर भाषा, वर्ग, समुदाय व संप्रदाय के लोगों ने सहभागिता की। श्रीराम जन्मभूमि के इतिहास और संघर्ष की गाथा और आन्दोलन का विस्तृत इतिहास तथ्यों व दस्तावेजों के साथ विस्तार से और लिखे जाने की आवश्यकता है। ऐसी पुस्तकें आने वाली पीढ़ी और वर्तमान पीढ़ी के लिए भी प्रेरणास्पद हैं।
गीता मनीषी पू स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि अयोध्या में केवल राम मंदिर की नहीं, अपितु राष्ट्र मंदिर व राष्ट्रीय गौरव की नींव पक्की हो रही है। राम हमारी प्रेरणा हैं, हमारी पहचान है, हमारी अस्मिता हैं। श्रीराम हमारे मंदिर में भी हैं और हमारे हृदय मंदिर के कण-कण में भी हैं। अब राम जन-जन में लौटेंगे और भारत पुनः विश्व गुरु बनेगा।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता जी ने कहा कि आज भी हमारे बीच बाबर रूपी शक्तियों से सावधान रहने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम अध्यक्ष आलोक कुमार जी ने कहा कि हमारा सौभाग्य यह नहीं कि हमारे सामने राम जी का काम हो रहा है। हमारा सौभाग्य है कि हम सब उसमें अपना-अपना योगदान दे रहे हैं। आगामी 22 जनवरी को 5 लाख से अधिक मंदिरों में संपन्न होने वाले कार्यक्रमों के लिए हम करोड़ों परिवारों को निमंत्रित कर विश्व में 'कृण्वन्तो विश्वमार्यम्' के उद्घोष को सार्थक करेंगे पुस्तक के लेखक हेमंत शर्मा जी ने कहा कि दो माह से भी कम समय में पुस्तक लिखने की मेरी क्षमता नहीं थी, किंतु राम जी की प्रेरणा ने इसे लिखवा लिया। इदं रामाय, इदं न मम्। अयोध्या सिर्फ एक शहर नहीं, एक विचार नही सांस्कृतिक विरासत है। अयोध्या हमारे लोकतंत्र की जननी तथा लोकमंगल व लोक कल्याण की प्रेरणास्थली है। नई दिल्ली स्थित डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में मंच का संचालन प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार जी ने किया।
विनोद बंसल
राष्ट्रीय प्रवक्ता
विश्व हिंदू परिषद

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