श्रीजी रमण योगी महाराज "साइंटिस्ट बाबा" का अध्यात्मिक संछिप्त जीवन परिचय


नई दिल्ली : परम श्रद्धेय श्रीजी रमण योगी महाराज प्रख्यात आध्यात्मिक प्रणेता के साथ साथ माता महालक्ष्मी जी के उपासक होते हुए एक विश्व विख्यात 'श्री विद्या साधक', 'श्रीजी राजयोग' के प्रवर्तक एवं जन्मकुंडली की विवेचना में तृतीय स्तर के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ भी हैं। आप श्रीमद्भागवत, गीता रामकथा एवं वेद व पुराणों के मर्मज्ञ और व्यास-पीठ पर प्रवचन हेतु अनवरत रूप से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हैं। वास्तु शास्त्र, अरोमा थेरेपी, प्राचीन इत्र (परफ्यूम) थैरेपी, संजीवनी विद्या, रुद्राक्ष थेरेपी तथा जड़ी-बूटी विज्ञान पर गुरुदेव ने बहुत अधिक शोध किया है, जिससे उनके कई शिष्य अभी तक लाभान्वित हो चुके हैं, यही कारण है कि गुरुदेव बहुत कम समय में ही अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रख्यात हो गए और उनके शिष्य प्यार एवं सम्मान से उन्हें "साइंटिस्ट बाबा" कहने लगे। गुरुदेव अश्वमेघ यज्ञ, राजसूय यज्ञ, अतुल वैभव लक्ष्मी यज्ञ, महालक्ष्मी यज्ञ, विष्णु यज्ञ, पुत्रकामयेष्ठि यज्ञ, शतचण्डी महायज्ञ एवं पंच महायज्ञ इत्यादि के अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञ एवं शोधार्थी माने जाते हैं। गुरुदेव ऐसे कई यज्ञ एवं अनुष्ठानों के माध्यम से लोगों को विस्मृत कर देने वाले परिणाम प्रदान कर भारतीय वैदिक विज्ञान की सनातन धारा की सत्यता की परिपुष्टि कर रहे हैं। भारतीय आध्यात्मिक प्रणेता होने के साथ ही आप भारत सरकार की विभिन्न परियोजनाओं में बतौर "वरिष्ठ परामर्शदाता" भी शोभायमान रह चुके हैं। देश में राजनीतिज्ञों में खासकर देश के पूर्व प्रधान मंत्री "श्री अटल बिहारी वाजपेयी" आपकी मेधा से काफी प्रभावित हुए। गुरुदेव, भारतीय वैदिक संविधान 'मनु सहिंता', आचार्य चाणक्य के 'अर्थशास्त्र', राजा भर्तहरि के 'नीति-शतक', 'विदुर नीति' एवं भारतीय संविधान में प्रवीणता रखते हैं। आपने आधुनिक लोकतंत्र एवं लोक-कल्याणकारी राज्य की अवधारणा से सम्बंधित Ph.D. की उपाधि भी प्राप्त की है। गुरुदेव के शोध कार्यों को देखते हुये 2016 में ICABER द्वारा उन्हें अंतर्राष्ट्रीय "बैस्ट आउटस्टैडिंग साइंटिस्ट अवार्ड" तथा वर्ष 2021 में गलोबल संत समाज फाउंडेशन द्वारा उन्हें दिल्ली में 'Guest of Honour' से सम्मानित किया। चालीस वर्ष की आयु तक महाराज श्रीजी रमण योगी ने सम्पूर्ण भारत के लगभग सभी आध्यात्मिक स्थानों एवं तीर्थ स्थलों का भ्रमण कर लिया था। आप एक राष्ट्रप्रेम से ओत-प्रोत संत हैं, यही कारण है कि आपने देश के कई महानायकों एवं बलिदानियों के जन्मस्थानों पर स्वयं जाकर उनके प्रति अपनी कृतज्ञता एवं श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कालांतर में आपके कई लेख राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर की विभिन्न पुस्तकों एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। महाराज श्रीजी रमण योगी ने ऐसी कई आध्यात्मिक दुर्लभ पुस्तकों का संकलन किया है जो पिछले कई वर्षों एवं सदियों से प्रायः लुप्तप्राय सी हो चुकीं थीं, गुरुदेव के अनुसार इस दुर्लभ आध्यात्मिक संकलन में भारतीय सनातन धर्म के वैदिक विज्ञान का ऐसा ब्लूप्रिंट है..जो समय आने पर पाश्चात्य विज्ञान को धराशायी कर देगा। इन पुस्तकों के संकलन में गुरुदेव अब तक माता लक्ष्मी की  कृपा से और अपने प्रिय शिष्यों के सहयोग से लाखों रुपये खर्च कर चुके हैं। महाराज इन पर गहन शोध कर इनके ब्लूप्रिंट को 'डिकोड' करने के कार्य में व्यस्त हैं। वर्तमान में आप विश्व के कई देशों; जैसे -अमेरिका, चीन, कनाडा, फ्रांस, ब्रिटेन, नीदरलैंड, हॉलैंड, सूरीनाम, आयरलैंड, रूस, यूक्रेन, नेपाल ओर थाईलैंड इत्यादि में अपने श्री साधकों के माध्यम से प्राचीन 'श्री साधना', 'श्रीजी राजयोग', 'ज्योतिष विज्ञान', 'श्रीमद्भागवत', 'गीता' एवं 'रामायण' को स्थापित करने हेतु पूर्णतः प्रतिबद्ध हैं। गुरुदेव सम्पूर्ण विश्व में किसी भी साधना, अनुष्ठान, प्रवचन, सत्संग, जन्मपत्री विवेचन एवं विभिन्न आध्यात्मिक  कार्यक्रमों में उपस्थिति का कोई दक्षिणा एवं शुल्क नहीं लेते हैं। उनके अनुसार अध्यात्म एवं प्रभु की भक्ति अनमोल होती है, अतः उसका कोई मूल्य निर्धारण नहीं करना चाहिए, सिवाय श्रद्धा और विश्वास के मोती के। शिष्यों से कोई  दक्षिणा एवं शुल्क न ले सकने और न हीं मांग सकने के कारण महाराज का कोई आश्रम एवं साधना स्थल अभी तक संपूर्ण भारतवर्ष एवं विश्व में कहीं नहीं है। इसीलिए वे अधिकतर फक्कड़ जीवन व्यतीत करते हैं। महाराज की इच्छा है कि, वे अपने जीवन काल में माता महालक्ष्मी का एक भव्य मंदिर, पीठ एवं आश्रम की स्थापना कर सकें। 
जय महालक्ष्मी!
श्रीजी रमण योगी महाराज (डॉ. रमाकांत बरुआ)
(विश्व विख्यात :श्रीविद्या साधक[लक्ष्मी उपासक], जन्मकुंडली विशेषज्ञ, वैदिक विज्ञानी और व्यासपीठ से श्रीमद्भागवत, गीता, रामकथा एवं वेद शास्त्रों के प्रवक्ता)

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