सार्क देशों के बीच ग्लोबल लाइब्रेरी समिट 2025 से वैश्विक एकता को मिलेगा बढ़ावा- प्रो.के.के. अग्रवाल
सुनील मिश्रा नई दिल्ली :
नई दिल्ली स्थित सार्क देशों द्वारा संचालित एक मात्र विश्व विद्यालय साउथ एशियन यूनिवर्सिटी द्वारा शिक्षा के साथ साथ लाइब्रेरी डिप्लोमेसी की दिशा में कर रही है साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष और प्रख्यात शिक्षाविद्द प्रो. के.के. अग्रवाल के कुशल मार्गदर्शन अगले वर्ष 5 से 7 फरवरी तक नई दिल्ली में वैश्विक लाइब्रेरी समिट-2025 आयोजन होने जा रहा है। साउथ एशियन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली और लाइब्रेरी और इंफॉर्मेशन साइंस अकादमी, बैंगलुरु द्वारा संयुक्त रुप से आयोजित इस महत्वपूर्ण वैश्विक सम्मेलन के जरिए सार्क देशों के साथ वैश्विक स्तर पर लाइब्रेरी डिप्लोमेसी को बढ़ावा देना है। पहली ग्लोबल लाइब्रेरी समिट का कर्टेन रेजर कार्यक्रम नई दिल्ली स्थित डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में हुआ। इस दौरान साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष प्रोफेसर के.के. अग्रवाल, एआसीटीई के अध्यक्ष अध्यक्ष प्रो. टी.जी. सीताराम, LIS अकादमी के अध्यक्ष प्रोफेसर वी.वी. कोन्नूर और डॉ. अंबेडकर इंटरनेशन सेंटर के निदेशक आकाश पाटिल, एसएयू के वाइस प्रेसीडेंट प्रोफेसर पंकज जैन और समिट के आयोजन समिति सचिव प्रोफेसर धनंजय त्रिपाठी ने शिखर सम्मेलन की आधिकारिक वेबसाइट लॉन्च, जीएलएस-25 ब्रोशर और एलआईएस अकादमी प्रकाशन का विमोचन किया
साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष प्रो. के.के. अग्रवाल ने आधुनिक पुस्तकालयों के सामने चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए शोधकर्ताओं द्वारा पुस्तकालयों को दरकिनार करने पर चिंता व्यक्त की.
प्रो. अग्रवाल ने पाठ्यक्रम से परे पढ़ने के महत्व को बताते हुएं चैटजीपीटी जैसे एआई उपकरणों पर अत्यधिक निर्भरता के खिलाफ चेतावनी दी। प्रोफेसर केके अग्रवाल ने अपने संबोधन में शिखर सम्मेलन की टैगलाइन, "कनेक्ट, सहयोग और योगदान" की थीम लाइन को विस्तार से रेखांकित करते हुए कहा कि साउथ एशियन यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी डिप्लोमेसी के जरिए सार्क के सभी सदस्य देशों को आपस में जोड़कर वैश्विक एकता को बढावा देने का काम कर रही हैं। प्रोफेसर अग्रवाल ने साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के आदर्श वाक्य "नॉलेज विदाउट बॉर्डर" की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए SAARC देशों के बीच पुस्तकालय सहयोग को बढ़ावा देकर ज्ञान के विस्तार पर जोर दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और AICTE के अध्यक्ष प्रो. टी.जी. सीताराम ने पुस्तकालयों में तकनीकी एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए सभी बाधाओं को तोड़ने और वैश्विक सहयोग को सक्षम करने के मार्ग के रूप में "लाइब्रेरी डिप्लोमेसी" की अवधारणा पेश की। प्रो. सीताराम ने मातृभाषा शिक्षा के महत्व और पुस्तकालय सेवाओं में AI उपकरणों के रणनीतिक उपयोग पर चर्चा की।
अंबेडकर इंटरनेशन सेंटर के निदेशक आकाश पाटिल ने इस आयोजन को डॉ. अंबेडकर की विरासत से जोड़ा। पाटिल ने आगामी 2025 शिखर सम्मेलन के लिए DIAC के निरंतर समर्थन का वचन दिया। कार्यक्रम के समापन भाषण में ग्लोबल लाइब्रेरी समिट की आयोजन समिति के सचिव ड़ॉ. धनंन्जय त्रिपाठी ने कहा कि साउथ एशियन यूनिवर्सिटी की तीन दिवसीय ग्लोबल लाइब्रेरी समिट में दुनियाभर के विशेषज्ञ भाग लेंगे और लाइब्रेरी के क्षेत्र में तकनीक व नवाचारों पर अपने बौद्दिक व्याख्यान देंगे। इस समिट से संबंधित जानकारी http://gls25.org पर उपलब्ध है।